बाबा नीम करौली के यहाँ कोई भी मुराद लेकर जाए तो खाली हाथ नहीं लौटता
बांसगांव सन्देश : कैंची धाम ( Kainchi Dham ) एक ऐसी जगह है जहां कोई भी मुराद लेकर जाए तो वह खाली हाथ नहीं लौटता. इस धाम में बाबा नीम करौली ( Neem Karoli Baba ) को भगवान हनुमान का अवतार माना जाता है. 15 जून को पावन धाम में स्थापना दिवस मनाया जाता है. देश-विदेश से हज़ारों लोग यहां हनुमान जी का आशीर्वाद लेने आते हैं.
बाबा नीम करौली 1962 में पहली बार यहां आए और उन्होंने अपने पुराने मित्र पूर्णानंद जी के साथ मिलकर यहां आश्रम बनाने का विचार किया था.नीम करौली बाबा ने इस आश्रम की स्थापना 1964 में की थी.
इस स्थान पर हनुमान का भव्य मन्दिर बनवाया. यहां बाबा नीम करौली ( Neem Karoli Baba ) की भी एक भव्य मूर्ति स्थापित की गयी है. बाबा नीम करौली ( Neem Karoli Baba ) महाराज के देश-दुनिया में 108 आश्रम हैं. इन आश्रमों में सबसे बड़ा कैंची धाम और अमेरिका के न्यू मैक्सिको सिटी स्थित टाउस आश्रम है.
वह अपना पैर किसी को नहीं छूने देते थे. केवल आम आदमी ही नहीं अरबपति-खरबपति भी बाबा के भक्तों में शामिल हैं. पीएम और हॉलीवुड अभिनेत्री जूलिया राबर्ट्स, एप्पल के फाउंडर स्टीव जाब्स और फेसबुक के संस्थापक मार्क जुकरबर्ग जैसी हस्तियां भी बाबा के भक्त हैं.
बाबा नीम करौली ने पानी को घी में बदल दिया
बाबा नीब करौरी के इस पावन धाम को लेकर कई तरह के चमत्कारिक किस्से बताए जाते हैं. एक जनश्रुति ये है कि कैंची धाम में एक बार भंडारे के दौरान घी की कमी पड़ गई थी. बाबा ने कहा कि नीचे बहती नदी से कनस्तर में पानी भरकर लाएं. उसे प्रसाद बनाने के लिए जब उपयोग में लाया गया तो वह पानी घी में बदल गया .
एक बार बाबा फर्स्ट क्लास कम्पार्टमेंट में सफर कर रहे थे. जब टिकट चेकर आया तो बाबा के पास टिकट नहीं था. तब बाबा को अगले स्टेशन ‘नीब करोली’ में ट्रेन से उतार दिया गया. बाबा थोड़ी दूर पर ही अपना चिपटा धरती में गाड़कर बैठ गए. ऑफिशल्स ने ट्रेन को चलाने का आर्डर दिया और गार्ड ने ट्रेन को हरी झंडी दिखाई, परंतु ट्रेन एक इंच भी अपनी जगह से नहीं हिली.
बहुत प्रयास करने के बाद भी जब ट्रेन नहीं चली तो लोकल मजिस्ट्रेट जो बाबा को जानता था उसने ऑफिशल्स को बाबा से माफी मांगने और उन्हें सम्मान पूर्वक अंदर लाने को कहा. ट्रेन में सवार अन्य लोगों ने भी मजिस्ट्रेड का समर्थन किया.
ऑफिशल्स ने बाबा से माफी मांगी और उन्हें ससम्मान ट्रेन में बैठाया। बाबा के ट्रेन में बैठते ही ट्रेन चल पड़ी. तभी से बाबा का नाम नीम करोली पड़ गया.
वहीं एक बार बाबा नीम करौली ( Neem Karoli Baba ) महाराज ने अपने भक्त को गर्मी की तपती धूप में बचाने के लिए उसे बादल की छतरी बनाकर, उसे उसकी मंजिल तक पहुंचाया.15 जून 1964 को मंदिर में हनुमान जी की मूर्ति की प्रतिष्ठा की गई और तभी से 15 जून को प्रतिष्ठा दिवस के रूप में मनाया जाता है ,
बाबा का मूल नाम लक्ष्मीनारायण शर्मा था. उनका जन्म ग्राम अकबरपुर (उत्तर प्रदेश) में हुआ था. उनकी समाधि वृंदावन में तो है ही, पर कैंची, नीब करौरी, वीरापुरम (चेन्नई) और लखनऊ में भी उनके अस्थि कलशों को भू समाधि दी गयी.
1958 में बाबा ने अपने घर को त्याग दिया और पूरे उत्तर भारत में साधुओं की भांति विचरण करने लगे थे. उस दौरान लक्ष्मण दास, हांडी वाले बाबा और तिकोनिया वाले बाबा सहित वे कई नामों से जाने जाते थे. गुजरात के ववानिया मोरबी में तपस्या की तो वहां उन्हें तलईया बाबा के नाम से पुकारते लगे थे.
बाबा ने देश भर में 12 प्रमुख मंदिर बनवाये. उनके देहांत के बाद भी भक्तों ने 9 मंदिर बनवाये हैं. इनमें मुख्यतः हनुमान जी के प्रतिमा है. बाबा चमत्कारी पुरुष थे. अचानक गायब या प्रकट होना।आश्रम पहाड़ी इलाके में देवदार के पेड़ों के बीच है. यहां पांच देवी-देवताओं के मंदिर हैं. इनमें हनुमान जी का भी एक मंदिर है. भक्तों का मानना है कि बाबा खुद हनुमान जी के अवतार थे.
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