बांसगांव संदेश। प्रसिद्ध कथक नर्तक Pandit Birju Maharaj का निधन हो गया। वे 83 साल के थे। पंडिट बिरजू महाराज का जन्म 4 फरवरी, 1938 को लखनऊ में हुआ था।

पद्मविभूषण से सम्मानित Pandit Birju Maharaj भारतीय शास्त्रीय नृत्य कथक के बड़े हस्ताक्षर थे।
उनके निधन की जानकारी उनके पोते स्वरांश मिश्रा ने फ़ेसबुक पोस्ट के ज़रिए दी। उन्होंने लिखा, ”बहुत ही गहरे दुख के साथ हमें बताना पड़ रहा है कि आज हमने अपने परिवार के सबसे प्रिय सदस्य पंडित बिरजू जी महाराज को खो दिया। 17 जनवरी को उन्होंने अंतिम सांस ली। मृत आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करें।”
बीते रात ही पोते के साथ खेलते समय ही हुए थे अचेत
बताया जा रहा है कि Pandit Birju Maharaj कल देर रात अपने पोते के साथ खेल रहे थे तभी उनकी तबीयत खराब हो गई और वे अचेत हो गए। उन्हें तुरंत साकेत के अस्पताल में ले जाया गया जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। उनके परिजनों ने बताया कि कुछ दिन पहले ही महाराज को गुर्दे की बीमारी का पता चला था। उनका इलाज चल रहा था। गायक मालिनी अवस्थी और अदनान सामी समेत कला, फिल्म व संगीत जगत की तमाम हस्तियों ने उन्हें श्रद्धांजलि दी है।
लखनऊ के कथक घराने में पैदा हुए बिरजू महाराज के पिता अच्छन महाराज और चाचा शम्भू महाराज का नाम देश के प्रसिद्ध कलाकारों में शुमार है।
एक युग का हुआ अंत : राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद
The demise of legendary Pandit Birju Maharaj marks the end of an era. It leaves a deep void in the Indian music and cultural space. He became an icon, making unparalleled contribution to popularise Kathak globally. Condolences to his family and admirers.
— President of India (@rashtrapatibhvn) January 17, 2022
महान पंडित बिरजू महाराज का निधन एक युग के अंत का प्रतीक है। यह भारतीय संगीत और सांस्कृतिक स्थान में एक गहरा शून्य छोड़ देता है। वह कथक को विश्व स्तर पर लोकप्रिय बनाने में अद्वितीय योगदान देकर एक प्रतीक बन गए। उनके परिवार और प्रशंसकों के प्रति संवेदना।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने Pandit Birju Maharaj के निधन पर जताया शोक
भारतीय नृत्य कला को विश्वभर में विशिष्ट पहचान दिलाने वाले पंडित बिरजू महाराज जी के निधन से अत्यंत दुख हुआ है। उनका जाना संपूर्ण कला जगत के लिए एक अपूरणीय क्षति है। शोक की इस घड़ी में मेरी संवेदनाएं उनके परिजनों और प्रशंसकों के साथ हैं। ओम शांति! pic.twitter.com/PtqDkoe8kd
— Narendra Modi (@narendramodi) January 17, 2022
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सुप्रसिद्ध कथक नर्तक के निधन पर शोक व्यक्त करते हुए कहा कि भारतीय नृत्य कला को विश्वभर में विशिष्ट पहचान दिलाने वाले पंडित बिरजू महाराज जी के निधन से अत्यंत दुख हुआ है। उनका जाना संपूर्ण कला जगत के लिए एक अपूरणीय क्षति है। शोक की इस घड़ी में मेरी संवेदनाएं उनके परिजनों और प्रशंसकों के साथ हैं। ओम शांति!
गृहमंत्री अमित शाह ने जताया शोक
प.बिरजू महाराज और कथक एक दूसरे के पूरक व पर्याय थे। उन्होंने भारतीय कला-संस्कृति को विश्वपटल पर नई ऊंचाइयों पर पहुँचाया। उनका निधन देश के लिए अपूरणीय क्षति है। उनके परिजनों व प्रशसंकों के प्रति संवेदनाएँ व्यक्त करता हूँ। ईश्वर दिवगंत आत्मा को अपने श्रीचरणों में स्थान दें। ॐ शांति
— Amit Shah (@AmitShah) January 17, 2022
प.बिरजू महाराज और कथक एक दूसरे के पूरक व पर्याय थे। उन्होंने भारतीय कला-संस्कृति को विश्वपटल पर नई ऊंचाइयों पर पहुँचाया। उनका निधन देश के लिए अपूरणीय क्षति है। उनके परिजनों व प्रशसंकों के प्रति संवेदनाएँ व्यक्त करता हूँ। ईश्वर दिवगंत आत्मा को अपने श्रीचरणों में स्थान दें। ॐ शांति
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ने सुप्रसिद्ध कथक नर्तक Pandit Birju Maharaj के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सुप्रसिद्ध कथक नर्तक पंडित बिरजू महाराज के निधन पर गहरा शोक व्यक्त किया है। आज जारी एक शोक संदेश में मुख्यमंत्री ने कहा कि पं. बिरजू महाराज ने अपनी कला और प्रतिभा से पूरी दुनिया मे देश और प्रदेश का गौरव बढ़ाया था। वे शास्त्रीय कथक नृत्य के लखनऊ कालिका-बिन्दादिन घराने के अग्रणी नर्तक थे। उनके निधन से कला जगत को हुई हानि की भरपाई होना कठिन है। मुख्यमंत्री ने दिवंगत आत्मा की शांति की कामना करते हुए पं.बिरजू महाराज के शोक संतप्त परिजनों के प्रति संवेदना व्यक्त की है।
बचपन से ही था Pandit Birju Maharaj कथक का शौक
उनका शुरुआती नाम बृजमोहन मिश्रा था। नौ वर्ष की आयु में पिता के गुज़र जाने के बाद परिवार की ज़िम्मेदारी उनके कंधों पर आ गई। फिर उन्होंने अपने चाचा से कथक नृत्य का प्रशिक्षण लेना शुरू किया।
कुछ अरसे बाद कपिला वात्स्यायन उन्हें दिल्ली ले आईं। उन्होंने संगीत भारती (दिल्ली) में छोटे बच्चों को कथक सिखाना शुरू किया और फिर कथक केंद्र (दिल्ली) का कार्यभार भी संभाला।
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